• नेचुरोपैथी में कर्नाटक के छात्रों का प्रतिवेदन स्वीकार करेंगे: योगी आदित्यनाथ

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार नेचुरोपैथी में कर्नाटक के डिग्री धारक छात्रों का प्रतिवेदन स्वीकार करेगी।

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    लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार नेचुरोपैथी में कर्नाटक के डिग्री धारक छात्रों का प्रतिवेदन स्वीकार करेगी।
    कर्नाटक के दौरे पर गये श्री योगी ने बेंगलुरु में श्री धर्मस्थल मंजूनाथेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी एंड यौगिक साइंस क्षेमवन (यूनिट) का उद्घाटन किया। समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बेंगलुरु को आईटी और बायोटेक्नोलॉजी का हब माना जाता है। अब यह तेजी के साथ ट्रेडिशनल मेडिसिन के हब के रूप में दुनिया का मार्गदर्शन करता दिखाई दे रहा है। खासतौर पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर बनाने की ओर अग्रसर हैं, तब हमें अपनी कार्यपद्धति में टेक्नोलॉजी के साथ जुड़ते हुए प्रोफेशनलिज्म लाना होगा और इसके लिये सरकार और जनता को साथ मिलकर प्रयास करना होगा। सभी सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और अन्य संस्थान जब इस अभियान के साथ जुड़ेंगे तो इसके परिणाम उसी रूप में आते हुए दिखाई देंगे।
    उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भारत को मज़बूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभारने के लिए संकल्पित हैं। इसे देखते हुए देश में धर्मस्थलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। इसके लिए ही विश्व योग दिवस पर प्रधानमंत्री ने मैसूर में आकर योग दिवस का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा “ हम उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय बना रहे हैं। कर्नाटक के जिन छात्रों ने नेचुरोपैथी में डिग्री ली है, उन्हें अगर यहां कार्य करने में कोई परेशानी आती है तो हम उनसे प्रतिवेदन लेंगे। उन्हें वही सम्मान उत्तर प्रदेश में भी मिलेगा, जो कर्नाटक में मिलता है।”
    मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की ऋषि परम्परा ने इस बात को माना है कि 'शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्', यानी जितने भी धर्म के साधन हैं ये सभी शरीर के ही माध्यम से हो पाएंगे। स्वस्थ शरीर ही इन सभी कार्यों को सम्पन्न कर सकता है। योग की ताकत को लोगों ने कोविड-19 के दौरान स्वीकार किया है। आबादी में अगर हम भारत की यूएस से तुलना करें तो वहां हमसे दोगुनी मौतें हुईं, ये इस बात को प्रमाणित करता है कि हमारी परम्परागत व्यवस्था, जिसे हम आयुष के रूप में मान्यता देते हैं ये व्यक्ति को मजबूत बनाती है। क्षेमवन भारत की चिकित्सा पद्धति को बढ़ाने का बेहतरीन माध्यम साबित होगा।

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